Moringa Oleifera Natural Weight Gainer of Goat and Sheep
मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) Natural Weight Gainer of Eid Goat and Sheep
नमस्कार दोस्तो,
भारत देश विश्व का सबसे ज्यादा पशुधन संख्या होनेवाले देश के लिस्ट में एक नंबर बनने के दौड़ में काफी आगे है। जोकि 4.8% की दर से रोजबरोज बढ़ रहा है। और इन पशुधन को चारा की पूर्ति भी करना काफी जरूरी होता है। पशुधन क्षेत्र में हो रहे विकास के लिए पर्याप्त मात्रामे और पौष्टिक आहार और चारे की नियमित आपूर्ति रखना काफी आवश्यक है। पशुधन को चार की आपूर्ति का मुख्य और सबसे सस्ता स्त्रोत चारा फसलें है।
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वर्तमान में भारत में 35.6% हरा चारा, 10.95% सूखा चारा और 44% फीडिंग सामग्री की ख्मो का सामना करना पड़ रहा है।
हरे चारे की बारहमासी कमी वाले क्षेत्रों में पशुओं की चारे की मांग को पूरा करने के लिए पेड़ोका चारा एक अच्छा विकल्प है। पशुओ पर होनेवाले अनुसंधान प्रयासों से ये साबित होगया है कि पशुओ को पौष्टिक चारे की एक विशाल सूची बनायी है।
Ideal Fodder For Goats and Sheep
अगर आप पशुपालन कर रहे है या करना चाहरहे है तो आपको चारे के सम्बंध में कुछ बाते ध्यान में रखनी पड़ेगी जो काफी महत्वपूर्ण है। Goat , Sheep fodder यानी चारा कैसा होना चाहिये ये आपको निचेदिगये पॉइंट्स से समझ मे आएगा।
@ चारा न्यूट्रिशियन से भरपूर और स्वाद में अच्छा और सहज पचनेवाला होना चाहिए।
@ जानवर को चारा खिलाने के बाद किसी तरह का विपरीत परिणाम न हो ।
@ चारा बोअने के बाद जल्द बढ़ने वाला और जल्द परिपक्व हानेवाला चाहिए ।
@ भरपूर हरा चारा का उत्पादन मिलता रहे।
@ चारे की सतत आपूर्ति बनी रहे बारहमासी हरा चारे का उत्पादन मिलता रहे।
@ जानवर को चारा खिलाने के बाद किसी तरह का विपरीत परिणाम न हो ।
@ चारा बोअने के बाद जल्द बढ़ने वाला और जल्द परिपक्व हानेवाला चाहिए ।
@ भरपूर हरा चारा का उत्पादन मिलता रहे।
@ चारे की सतत आपूर्ति बनी रहे बारहमासी हरा चारे का उत्पादन मिलता रहे।
@ कम देखभाल में अच्छी पैदावार हो।
@ चारे का sliage आसानी से बनाया जा सके।
@ चारे का sliage आसानी से बनाया जा सके।
दोस्तो ऊपर दिए गए सभी गुण जिस चारे में हो वो हरा चारा हमारे लिए काफी उपयुक्त होता है, तो आजके इस पोस्ट में मैं आपको एक ऐसा ही एक पेड़ के बारेमे बतानेवाला हु जो जुगाली करने वालों के लिए चारा देता है, उस पेड़ का नाम है, मोरिंगा (Moringa oleifera) जिसे "ड्रमस्टिक ट्री" (Drumstick Tree) नाम सभी जाना जाता है। हिंदी में "सहिजन पेड़" , मराठी में "शेवगा" के रूप में भी जाना जाता है। सहिजन को वैज्ञानिक रूप से मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) कहा जाता है ।
मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) for Sheep and Goats
यह तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है जो बहुउद्देश्यीय उपयोग के लिए पूरे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में उगाया जाता है। मानव भोजन, पशुधन चारा, औषधि मूल्य, डाई, जल शुद्धिकरण के अलावा इस पेड़ के कई गुणधर्म है।
मोरिंगा ओलीफेरा (Moringa oleifera) for Sheep and Goats
Moringa oleifera की पत्तियों में बीटा-कैरोटीन, प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन की अच्छी मात्रा होती है। चूंकि Moringa oleifera मोरिंगा के हरे पत्तों में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता हैं, इसलिए इसका इस्तेमाल दुधारू पशुओं के पूरक चारे के रूप में किया जा सकता है।Moringa oleifera मोरिंगा के पत्तो में पारंपरिक प्रोटीन सप्लीमेंट जैसे नारियल का भोजन, Cotton Seed Cake (कपास की खल), Ground Nut Cake) मूंगफली की खल, सूर्यफुल के बीज की खल (Sunflower Seed Cake) आदि की तुलना में बहुत अधिक प्रोटीन होता है। इसके अलावा, पत्तो में एन्टीबक्टेरियल और एन्टीऑक्सीडेंट पायी जाती है जो E. Coli, S. Arous, P. Aeruginosa, and B. Cereus. जैसे घातक बीमारी को पशुओ को दूर रखता है। Moringa के पड़े आप अपने खेत या खलियान के बाड़ो पर भी लगा सकते है। moringa oleifera बारहमासी उगने वाला हरा चारा है।
Moringa oleifera for Sheep and Goats Nutritional Profile
मोरिंगा के पत्तो में P, K, Ca, और Mg जैसे मैक्रोन्यूट्रिएंट्स पशुओ की शारीरिक, चयापचय और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पशुओ के गाभिन काल मे मवेशी खून की कमी Mg से पीड़ित होते हैं जिसकारण कारण कम दूध की उपज होती है। मोरिंगा के पत्तों में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स Mg और K की उच्च मात्रा होती है, और मोरिंगा की पत्तियों को अन्य चारे या घास के साथ मिलाकर पशुओं के आहार और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रभावी रूप से उपयोग किया जा सकता है।
Moringa oleifera Famous Varieties.
Morning Oleifera की भारत में प्रचलित प्रमुख तीन व्हरायटी पायी जाती है ।
1) Rohit 1:-
इस नस्ल की मोरिंगा बुआई के लगभग 4 से महीने के बाद उत्पादन मिलना चालू होता है। इस नस्ल के मोरिंगा पेड़ की उम्र लगभग 10 साल होती है। इस नस्ल के फल्लियां गहरे हरे रंग की होती है। जिनकी लम्बाई 40 से 60 सेमि होती है। इस नस्ल की 1 पेड़ से 40 से 130 फल्लियां मिलती है जो लगभग 03 से 10 किलो के आसपास वजन में होती है।
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2) Coimbatore-2
इस नस्ल की मोरिंगा के फल्लियों की लंबाई 25 से 35 सेमी होती है। फलियों का रंग गहरा हरा होता है और इस नस्ल के पेड़ से लगभग 250 से 375 फल्लियों का उत्पादन मिलता है।3) P.K.M-1
इस नस्ल के मोरिंगा बुआई के लगभग 8 से 9 महिने बाद उत्पादन देता है। इस नस्ल के एक पेड़ लगभग 200 से 350 फल्लियां देता है। इस नस्ल के पेड़ की उत्पादकता उम्र 4 से 5 साल होती है।लिंक को क्लिक करके अभी आर्डर करे।
4) P.K.M-2
इस नस्ल के पेड़ की फल्लियां हल्के हरे रंग की होती है, स्वाद में अच्छी होती है। फल्ली की लंबाई 45 से 75 सेमी होती है। एक पेड़ लगभग एक मौसम में 300 से 400 फल्लियां देता है।
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Climate Condition for Moringa oleifera
Moringa oleifera के पेड़ की सबसे खासबात है कि ये पेड़ कम बरसात वाले क्षेत्र में भी पनपता है सूखा ग्रस्त भागो में भी moringa oleifera अच्छा उत्पादन देता है।
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Moringa Oleifera Natural Weight Gainer of Goat and Sheep
Reviewed by Nitesh S Khandare
on
January 22, 2019
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