Coccidiosis in Goat (Hindi)


Coccidiosis in Goat

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Coccidiosis in Goat (Hindi)
Coccidiosis in goat ये एक संक्रामक बिमारी है, ये बिमारी बकरी, कुत्ता, मुर्गी तथा पशुओ के पाचनतंत्र को संक्रमित करन वाला एक परजीवी रोग है। हिंदी मेंइसे Coccidiosis (कुकडिया) रोग कहते है। Coccidiosis रोग आइमेरिया नामक बैक्टीरिया से होता है। जिन पशुओ को को Coccidiosis रोग हुवा है उन पशुओ के मल (गोबर) के सम्पर्क में आने से ये दुसरे पशु को भी रोग दुसरे पशु को संक्रमित करता है।
      पशुओ को होनेवाला अतिसार (डायरिया) ये Coccidiosis रोगका मुख्य लक्षण है। इस रोग का प्रादुर्भाव ज्यादा हो गया तो अतिसार के साथ खून भी आ सकता है। Coccidiosis in goat रोगका शिकार आमतौर पर नवजात या कमजोर बच्चे होते है क्यों की उनकी रोग प्रतिकार क्षमता कम होती है इसलिए ये इस बिमारी के लिए आसान शिकार होते है। Coccidia बैक्टीरिया हर जगह होता है, शायद ही ऐसा कोई बकरियों का झुंड होगा जिसमे ये बैक्टीरिया पाया न जाए । गौरतलब है की किसी बकरी के पेट में अगर Coccidiosis का बैक्टीरिया है तो इसका मतलब ये नही है की वो कुकडिया से ग्रसित है। Coccidiosis रोग तब अपना प्रभाव दिखता है जब बकरी के आंत में इस बक्टेरिया की संख्या अचानक ज्यादा हो जाए। बाड़ो में साफ़ सफाई का आभाव ये इस रोग का संक्रमन होने का मुख्य कारण है। इसका मतबल ये रोग मानव निर्मित है ऐसा मानना गलत नही होगा । Coccidiosis बिमारी का नियंत्रण हम हमारे पशुओ के बाड़ो को साफ़ सुधरा रखकर आसानी से कर सकते है। लेकिन दुभार्ग्यवश इस बिमारी के दो रूप होते है एक स्पष्ट रूप में संकेत दर्शाता है और दूसरा का संकेत खोजना काफी मुश्किल होता है।
किसीभी रोगका निदान करने के लिए उस रोग का कारण बन रहे बक्टेरिया के जीवन चक्र को जानना काफी महत्वपूर्ण होता है। आगे हम जानेंगे के Coccidiosis बैक्टीरिया जीवनचक्र कैसा होता है।

Life Cycle of Coccidia (Coccidia बैक्टीरिया का जीवनचक्र)

Coccidia बैक्टीरिया के अन्य बैक्टीरिया की तरह कई प्रजातिया है। इनसभी प्रजातियों में से मुख्य दो प्रजाति है जो काफी घातक होती है।
 २) ईअर्लॉन्गी
ये दो मुख्य बक्टेरिया प्रजातिया है जो काफी घातक होती है। Coccidia बक्टेरिया कोशिका के अंदर रहनेवाला परजीवी है। ये बैक्टीरिया ग्रसित पशुओके पाचन तंत्र मे रहते है और अपनी संख्या बढ़ाते है। हो। पशुओ के मल के साथये बैक्टीरिया के अंडे पशुओ के शरीर के बाहर आते है। शुरवाती काल में ये बैक्टीरिया के अंडे संक्रामक नही होते लेकिन अगर इस मल को २ से ३ दिन तक साफ़ नही किया गया तो बैक्टीरिया वातावरण में काफी तेजीसे पनपते है। वातावरण में उपलब्ध नमी और ऑक्सीजन के मदत से ये बैक्टीरिया फिर से अपने अगले लक्ष को संक्रमित करने के लिए तयार हो जाते है। ये बैक्टीरिया नमी के मौसम जैसे बरसात और ठण्ड में काफी तेजीसे बढ़ते है। लेकिन ज्यादा गर्मी के ये जी नही सकते मर जाते है। इन बैक्टीरिया का जीवन का १४ दिनको का होता है। दूषित पशुओ के मल के सम्पर्क में अगर स्वस्थ पशु आये तो वो ग्रसित हो जाता है।

Clinical Signs of Coccidiosis in Goat (Coccidiosis के लक्षण)

Coccidiosis इस बिमारी के लक्षण समझाना काफी जरुरी होता है। देखा जाए तो Coccidiosis के लक्षण विभिन्न प्रजातियों के प्रति विभिन्न होता है । इस बिमारी का एक मुख्य लक्षण ये है की जानवर को अचानक दस्त (लूज मोशन) होते है, अगर इस बिमारी का प्रकोप ज्यादा हुवा तो दस्त में रक्त भी आता है। कभी कभी रक्त के बड़े बड़े थक्के भी दस्त में दिखाई देते है। जानवर की गुद्व्दर और पूंछ आमतौर पर रक्त से दागदार होते है।
जो जानवर प्रभावित है उनके शरीर का तापमान मेंभी चढ़ उतार आते है। जानवर कमजोर, जानवर के शरीर में रक्त की कमी यानी एनीमिक होता है, इस बिमारी में सांस सबंधी समस्या भी देखी जाती है। जानवर को कभी कभी सांस लेने में कठिनाई होती है । जानवर को भूख में कमी आती है। इसतरह के संकेत और परिणाम इस बिमारी के कारण जानवरों मे दिखते है।



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Treatment of Coccidiosis in Goat (Coccidiosis का उपचार)

Coccidiosis बिमारी संक्रामक बिमारी है, अगर बकरियों को इस बिमारी के कारण दस्त लगे है तो आमतौर पर वे बेसिक इलाज से ठीक होते है। लेकिन दस्त अगर रक्तवाले है तो पशुचिकिस्त व्दारा ट्रीटमेंट करना काफी महत्वपूर्णहोता है, ख़ासकर नवजात बच्चो अगर ये बिमारी हुई है तो उनके उपचार में देरी नही करनी चाहिए। दस्तइसलिए इसके उपचार के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए

१)      बीमार बकरियों को स्वस्थ बकरियों से दूर रखना चाहिए ।
२)      बीमार बकरियों का खाना पानी स्वस्थ बकरियों से अलग रखना चाहिए।
३)      बाड़े की साफ़ सफाई हमेशा रखनी चाहिए ।
४)      दस्त करनेवाले जानवरों को निर्जलीकरन का सामना करना पड़ता है इसलिए उन बकरियों को ग्लूकोज और पानी देते रहना चाहिए ।
५)      बाड़े में जानवर आसानीसे घूम फिर सके इस तरह से बाड़े बनाने चाहिए ।
६)      बाड़े में अगर बकरियों की भीड़ है तो ये बिमारी बढने के चांसेस ज्यादा होता है ।
७)      बाड़े में बकरियों की भीड़ भाड न होने दे ।
Coccidiosis in Goat (Hindi) Coccidiosis in Goat (Hindi) Reviewed by Nitesh S Khandare on August 19, 2018 Rating: 5

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